Tuesday, September 3, 2019

गणेश चतुर्थी

किसी भी कार्य के शुभारंभ से पहले सर्वप्रथम गणेशजी की पूजा करके शुरुआत की जाती है। विघ्‍नहर्ता गणपति भगवान को प्रथम पूजनीय माना जाता है। भगवान गणेश का महापर्व गणेश चतुर्थी देश भर में 2 सितंबर को विशेष धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। गणपति बप्‍पा इस दिन घर-घर में विराजेंगे। इस मौके पर आज हम आपको गणेशजी के बारे में कुछ विशेष रोचक बातें बताएंगे…



1. इसलिए कहलाते हैं गणेश

गण का अर्थ होता है कोई विशेष समुदाय या फिर विशेष समूह। ईश का अर्थ है स्‍वामी। शिवगणों और सभी देवगणों के स्‍वामी होने के कारण इन्‍हें गणेश कहते हैं। भगवान शिव के सेवकों के समुदाय यानी गणों के अध्यक्ष होने के कारण गणेशजी को गणाध्यक्ष और गणेश कहते हैं। ज्योतिषशास्त्र में तीन प्रकार के गण बताए गए हैं देवगण, मनुष्यगण और राक्षसगण ये तीनों ही शिवजी को पूजते हैं, बुद्धि के स्वामी होने की वजह से गणेश भी तीनों गणों द्वारा पूजित हैं इसलिए भी इन्हें गणेश कहते हैं।



2. यह है गणेशजी का परिवार

शिवजी को गणेशजी का पिता, पार्वती जी को माता, कार्तिकेय को भ्राता, ऋद्धि-सिद्धि को इनकी पत्नियां, क्षेम व लाभ को गणेशजी का पुत्र माना गया है। कहीं-कहीं शुभ और लाभ को गणेशजी का पुत्र कहा गया है। गणेशजी की एक बहन भी है जो मनसा देवी कहलाती हैं।



3 . इसलिए कहलाते हैं लंबोदर

एक बार इंद्र के साथ लड़ने से गणेश जी को बहुत ज्यादा भूख और प्यास लगी। इसके बाद गणेश जी ने काफी फल खा लिए और खूब सारा गंगाजल पी लिया। इस तरह उनका पेट काफी बढ़ गया और उन्हें लंबोदर के नाम से पुकारा जाने लगा। गणेशजी का पेट लंबा होने की वजह से वह बहुत सी चीजों को आसानी से अपने अंदर समाविष्ट कर लेते हैं। गणेशजी के लंबे पेट की कथा नीलमत पुराण में भी मिलता है।



4. गणेशजी की सूंढ

गणपति का एक नाम गजमुख भी है। गज के समान इनका सूंढ है जो शक्ति का प्रतीक है। गणपति अपने सूंढ से माता-पिता पर जल वर्षा कर उनकी पूजा करते हैं। देवता और असुर भी गणेशजी सूंढ के लपेटे से भय खाते हैं। यह सूढ़ इन्हें दूर से ही अच्छाई और बुराई को जान लेने की क्षमता प्रदान करता है।



5. इसलिए हैं छोटी आंखें

कहा जाता है कि गणेश जी की आंखें छोटी हैं। दरअसल, गणेश जी की आंखों को सूक्ष्म और तीक्ष्ण दृष्टि का सूचक माना जाता है। यह अपने छोटे नेत्र के बावजूद दूर दृष्टि रखते हैं। इन्हें अपना भक्त कहीं से भी नजर आ जाता है और उसके कल्याण के लिए तत्पर रहते हैं।



6. बड़े-बड़े कान, कहलाते हैं सूपकर्ण

गणेश जी के बड़े कानों को श्रव्य-शक्ति का सूचक माना जाता है। इनसे संदेश मिलता है कि हमें सबकी बातों को सुनना चाहिए। गणेशजी अपने लंबे कानों से यह संदेश देते हैं कि आधी बात मत सुनो, जो भी बात हो उसकी तह तक जाकर समझो। अक्सर अधूरी बात सुनने के कारण गलतफहमी होती है। गणेशजी यह समझाते हैं कि अधूरी बात जानकर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए।



7. महाभारत भी लिखी

पौराणिक मान्‍यता है कि गणेशजी ने महाभारत को लिखने का भी कार्य किया था। भगवान वेदव्‍यासजी ने महाभारत की जब पूरी रूपरेखा तैयार कर ली थी तब उन्‍होंने उसे लिखने के लिए गणपतिजी से आग्रह किया। ब्रह्माजी ने व्‍यासजी को यह कार्य गणेशजी से करवाने को बोला था। कहते हैं गणेशजी ने अपने एक दांत को कलम बनाकर पूरी महाभारत लिखी थी। उत्तराखंड में व्यास गुफा के पास एक छोटी सी गुफा है जिसे गणेश गुफा कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इसी गणेश गुफा के पास महाभारत की रचना हुई थी।



8. हिंदुओं के 5 प्रमुख देवताओं में से एक गणपति

शिवजी, विष्णुजी, दुर्गा, सूर्यदेव के अलावा गणेशजी को भी हिंदू धर्म के 5 प्रमुख देवताओं में शामिल किया गया है। इन पांचों देवी-देवताओं को पंचदेवता के रूप में माना जाता है। इनकी पूजा वैदिक काल से की जा रही है। गणेशजी वैदिक देवता हैं ऋग्वेद-यजुर्वेद में भी गणपतिजी के मन्त्रों का उल्लेख मिलता है।



9. ॐ है साक्षात स्‍वरूप

ॐ को गणेशजी का साक्षात स्‍वरूप माना गया है। जिस प्रकार हर कार्य से पहले विघ्‍नहर्ता गणेशजी की पूजा का विधान है, ठीक उसी प्रकार से प्रत्‍येक मंत्र के उच्‍चारण से पहले ॐ को लगाने से उस मंत्र का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। गणेशजी को गणेश पुराण में परब्रह्म बताया गया है ओम गणेशजी के उसी स्वरूप का प्रतीक माना जाता है।

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